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"बदन के आस-पास / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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लबों पे रेत हाथों में गुलाब
 
लबों पे रेत हाथों में गुलाब
 
 
और कानों में किसी नदी की काँपती सदा
 
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ये सारी अजनबी फ़िज़ा
 
ये सारी अजनबी फ़िज़ा
 
 
मेरे बदन के आस-पास आज कौन है।
 
मेरे बदन के आस-पास आज कौन है।
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20:20, 29 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

लबों पे रेत हाथों में गुलाब
और कानों में किसी नदी की काँपती सदा
ये सारी अजनबी फ़िज़ा
मेरे बदन के आस-पास आज कौन है।