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"सचमुच की यातना / अरुणा राय" के अवतरणों में अंतर
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23:09, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
झूठी राहत
ढूंढ रहा था मैं
पर तूने दे डाली
सचमुच की यातना .. .
खुशियों से
जो ढंक रहे थे मुझे
क्या कम था
क्या फितूर था
कि जिससे शीतलता पाई
चाह रही थी
कि वही
जलाए मुझे ...