भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अजबे नगरिया के रीत / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
 
|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=
+
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatBhojpuriRachna}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
ई त अजबे हे नगरिया के रीत।
+
ई त अजबे हे नगरिया के रीत
बाबू कोय न करऽ हे इहाँ पिरीत।।
+
बाबू कोय न करऽ हे इहाँ पिरीत
हर कोय देखऽ हे अँखिया गुर्रा के।
+
हर कोय देखऽ हे अँखिया गुर्रा के
तनिको न ताके प्यार से हमरा के।
+
तनिको न ताके प्यार से हमरा के
हम केकरा के कहूँ मनमीत।। बाबू ....
+
हम केकरा के कहूँ मनमीत
केकरा से करी पिरितिया के आसा।
+
बाबू ....
कोय न´् बोलऽ हे प्यार के भासा।
+
केकरा से करी पिरितिया के आसा
हमरा तो लागऽ हे हर कोय तीत।। बाबू ....
+
कोय नञ् बोलऽ हे प्यार के भासा
मनमा में बसल सामली सुरतिया।
+
हमरा तो लागऽ हे हर कोय तीत
अँखिया के आगु मोहनी मुरतिया।
+
बाबू ....
उहे तो लेलकइ हम्मर मन जीत।। बाबू ....
+
मनमा में बसल सामली सुरतिया
बाँटले फिरऽ हे जे प्यार के संदेसा।
+
अँखिया के आगु मोहनी मुरतिया
कोय के न´् ओकरा पर हे अंदेसा।
+
उहे तो लेलकइ हम्मर मन जीत
इहाँ तो लेलकइ उहे जगजीत।। बाबू ...
+
बाबू ....
 +
बाँटले फिरऽ हे जे प्यार के संदेसा
 +
कोय के नञ् ओकरा पर हे अंदेसा
 +
इहाँ तो लेलकइ उहे जगजीत
 +
बाबू ...
  
 
</poem>
 
</poem>

14:06, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण

ई त अजबे हे नगरिया के रीत
बाबू कोय न करऽ हे इहाँ पिरीत
हर कोय देखऽ हे अँखिया गुर्रा के
तनिको न ताके प्यार से हमरा के
हम केकरा के कहूँ मनमीत
बाबू ....
केकरा से करी पिरितिया के आसा
कोय नञ् बोलऽ हे प्यार के भासा
हमरा तो लागऽ हे हर कोय तीत
 बाबू ....
मनमा में बसल सामली सुरतिया
अँखिया के आगु मोहनी मुरतिया
उहे तो लेलकइ हम्मर मन जीत
बाबू ....
बाँटले फिरऽ हे जे प्यार के संदेसा
कोय के नञ् ओकरा पर हे अंदेसा
इहाँ तो लेलकइ उहे जगजीत
बाबू ...