"एजुकेशन लोन / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | ठीक से बोलऽ ठीक से बोलबो | + | ठीक से बोलऽ ठीक से बोलबो नञ् तो बदलतो टोन |
− | जे देतो कमीशन ओकरा दीहा | + | जे देतो कमीशन ओकरा दीहा नञ् चाही हमरा लोन |
− | जनता के सेवक हऽ तूँ पर खुद के समझऽ हऽ | + | जनता के सेवक हऽ तूँ पर खुद के समझऽ हऽ मालिक |
− | बइठल हऽ बड़गर कुरसी पर पोत के मन में | + | बइठल हऽ बड़गर कुरसी पर पोत के मन में कालिख |
− | अभियो चेतो समय हो | + | अभियो चेतो समय हो नञ् तो चेहरा बन जइतो तिकोन |
− | सिखलक होत गिरगिट भी तोहरा से रंग बदले | + | सिखलक होत गिरगिट भी तोहरा से रंग बदले ले |
− | रोबइत देख जनता के आबऽ हे तोहर मचले | + | रोबइत देख जनता के आबऽ हे तोहर मचले ले |
− | जलल पर तोहरा से बढ़ियाँ के छीटे जानऽ हेे | + | जलल पर तोहरा से बढ़ियाँ के छीटे जानऽ हेे नोन |
− | टी.ए. डी.ए. इंसेंटीव, पेमेंट से तोहर पेट | + | टी.ए. डी.ए. इंसेंटीव, पेमेंट से तोहर पेट नञ् भरलो |
− | आ गेलो सूचना के अधिकार अब तोहर किस्मत | + | आ गेलो सूचना के अधिकार अब तोहर किस्मत जरलो |
− | जादे नींबू के गारबऽ हऽ हमरा समझ के मगहिया | + | जादे नींबू के गारबऽ हऽ हमरा समझ के मगहिया गँवार |
− | हिंदी, इंगलश, मगही करऽ ही हम तीनों में | + | हिंदी, इंगलश, मगही करऽ ही हम तीनों में पत्राचार |
− | जादे खइबा त हजम | + | जादे खइबा त हजम नञ् होतो खाय पड़तो बिटनोन |
− | कुछ दिन पहिले ई बिहार के समझऽ हल सब | + | कुछ दिन पहिले ई बिहार के समझऽ हल सब गमकल |
− | जने नजर दउड़ाबऽ हलूँ हल ओन्ने लड़ा | + | जने नजर दउड़ाबऽ हलूँ हल ओन्ने लड़ा लउकल |
− | समय लगल सोझरावे में | + | समय लगल सोझरावे में नञ् लाबऽ फेर से सइक्लोन |
− | जनता के बुड़बक समझऽ हऽ पर ई तो सब कुछ जानऽ | + | जनता के बुड़बक समझऽ हऽ पर ई तो सब कुछ जानऽ हे |
− | की हे अंदर की हे बाहर सबके ई पहचानऽ | + | की हे अंदर की हे बाहर सबके ई पहचानऽ हे |
− | पड़ जइबा लफड़ा में बाबू समझऽ | + | पड़ जइबा लफड़ा में बाबू समझऽ नञ् हमरा अननोन |
− | बिना कमीशन देवे पड़तो, अब तोहरा एजुकेशन | + | बिना कमीशन देवे पड़तो, अब तोहरा एजुकेशन लोन |
− | ठीक से बोलऽ ठीक से बोलबो | + | ठीक से बोलऽ ठीक से बोलबो नञ् तो बदल जइतो हमर टोन |
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11:24, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण
ठीक से बोलऽ ठीक से बोलबो नञ् तो बदलतो टोन
जे देतो कमीशन ओकरा दीहा नञ् चाही हमरा लोन
जनता के सेवक हऽ तूँ पर खुद के समझऽ हऽ मालिक
बइठल हऽ बड़गर कुरसी पर पोत के मन में कालिख
अभियो चेतो समय हो नञ् तो चेहरा बन जइतो तिकोन
सिखलक होत गिरगिट भी तोहरा से रंग बदले ले
रोबइत देख जनता के आबऽ हे तोहर मचले ले
जलल पर तोहरा से बढ़ियाँ के छीटे जानऽ हेे नोन
टी.ए. डी.ए. इंसेंटीव, पेमेंट से तोहर पेट नञ् भरलो
आ गेलो सूचना के अधिकार अब तोहर किस्मत जरलो
जादे नींबू के गारबऽ हऽ हमरा समझ के मगहिया गँवार
हिंदी, इंगलश, मगही करऽ ही हम तीनों में पत्राचार
जादे खइबा त हजम नञ् होतो खाय पड़तो बिटनोन
कुछ दिन पहिले ई बिहार के समझऽ हल सब गमकल
जने नजर दउड़ाबऽ हलूँ हल ओन्ने लड़ा लउकल
समय लगल सोझरावे में नञ् लाबऽ फेर से सइक्लोन
जनता के बुड़बक समझऽ हऽ पर ई तो सब कुछ जानऽ हे
की हे अंदर की हे बाहर सबके ई पहचानऽ हे
पड़ जइबा लफड़ा में बाबू समझऽ नञ् हमरा अननोन
बिना कमीशन देवे पड़तो, अब तोहरा एजुकेशन लोन
ठीक से बोलऽ ठीक से बोलबो नञ् तो बदल जइतो हमर टोन