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"विनती / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

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दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
 
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
  
हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज।
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हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज
नञ् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज।
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नञ् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज
 
हमरा रस्ता नञ् सूझे हम राही अंजान
 
हमरा रस्ता नञ् सूझे हम राही अंजान
 
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
 
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान

11:00, 13 मार्च 2019 का अवतरण

गद्य पद्य नञ् छंद के जानूँ नञ् भाषा के ग्यान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान

संसकिरित अंगरेजी हिंदी हे ग्यानी के खातिर
अग्यानी मगही ही हम ओकरो में नञ् शातिर
विनती कर रहलुँ तोहरा से हम बालक नादान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान

हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज
नञ् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज
हमरा रस्ता नञ् सूझे हम राही अंजान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान

कोय कहऽ हे वीणापाणी कोय मइया शारदे
हमरा जइसन अग्यानी बोले मइया हमरा तार दे
चाहऽ त हो जाय मइया पल भर में उत्थान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान

ऐसन कुछ लिखवा दे मइया देके आशीर्वाद
मिट गेला पर अमर रहूँ हम लोग करथ फिर याद
हमरो तूँ करवा दऽ मइया साहित-रस के पान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान