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"हम समझते हैं आज़माने को / मोमिन" के अवतरणों में अंतर
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02:29, 11 नवम्बर 2008 का अवतरण
हम समझते हैं आज़माने कोउज़्र कुछ चाहिए सताने को
संग-ए-दर से तेरे निकाली आग
हमने दुश्मन का घर जलाने को
चल के काबे में सजदा कर मोमिन
छोड़ उस बुत के आस्ताने को
उज़्र = बहाना
संग-ए-दर = दरवाज़े का पत्थर, चोखट
आस्ताने = घर