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हमरे बलम जी के, जिनगी अन्हरिया।
कैसें चमकैबै जिन्दगानी, बलम राजा
मूरख अज्ञानी।।अज्ञानी।
देखै में तेॅ लागै जैसनोॅ, चाँद-चकोरबा
गोरोॅ-गोरोॅ मुखड़ा पेॅ, कारोॅ-कारोॅ तिलवा।
बिजली चमकै मुस्कानी, बलम राजा
मूरख अज्ञानी।।अज्ञानी।
कंठोॅ में अटकै जैसनोॅ, मछली के काँटोॅ
पिया मोरा खटकै छै, पढ़ि तोंही दुख बाँटोॅ।
कैसें जिबै हम्में सयानी, बलम राजा
मूरख अज्ञानी।।अज्ञानी।
कौनी कारण से मोरा, जरलोॅ करम छै
हम बी ए पास पिया, अंगुठा निशान छै।
आँखी सें ढर-ढर बहै पानी, बलम राजा
मूरख अज्ञानी।।अज्ञानी।
साक्षरता अभियान चललै, गाँव-गाँव में
पिया केॅ पढ़ैबै हम्में, राखी साथ-साथ में
पिया मोरा बनतै जे ज्ञानी, बलम राजा
चमकतै जिन्दगानी।।जिन्दगानी।
</poem>
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