भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अस्ताचलगामी सूरज का रथ
लगता है धुरी से अलग हो गया है
एक पहिया
या कि स्वर्णकर्णी घोड़े की तलाश में
विभिन्न दिशाओं में दौड़ पड़े हैं बाक़ी घोड़े
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,388
edits