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अमृत पल / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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23:21, 18 मई 2019
उड़ गए सब वे
लौट न पाए ।
220
(274)
परखना है
पावनता किसी की
पूछो मन से ।
</poem>
वीरबाला
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