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एक मोर का पंख / विनय मिश्र
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1 सितम्बर
<poem>
एक मोर का पंख रखा है
बरसों
पड़ी
पढ़ी
किताब में
मार कोहनी संकेतों की
डा० जगदीश व्योम
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