भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माहेश्वर तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (→नवगीत) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (→नवगीत) |
||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
* [[गहरे-गहरे-से पदचिन्ह / माहेश्वर तिवारी]] | * [[गहरे-गहरे-से पदचिन्ह / माहेश्वर तिवारी]] | ||
* [[मन है / माहेश्वर तिवारी]] | * [[मन है / माहेश्वर तिवारी]] | ||
+ | * [[हंसो भाई पेड़ / माहेश्वर तिवारी]] | ||
+ | * [[ज़िन्दगी अपनी हुई है मैल कानों की / माहेश्वर तिवारी]] | ||
* [[बहुत दिनों के बाद / माहेश्वर तिवारी]] | * [[बहुत दिनों के बाद / माहेश्वर तिवारी]] | ||
* [[कुहरे में सोए हैं पेड़ / माहेश्वर तिवारी]] | * [[कुहरे में सोए हैं पेड़ / माहेश्वर तिवारी]] |
13:49, 6 दिसम्बर 2020 का अवतरण
माहेश्वर तिवारी
जन्म | 22 जुलाई 1939 |
---|---|
जन्म स्थान | बस्ती (संतकबीर नगर), उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हरसिंगार कोई तो हो, नदी का अकेलापन, सच की कोई शर्त नहीं, फूल आए हैं कनेरों में (सभी नवगीत-संग्रह) | |
विविध | |
नवगीतों का विभिन्न भारतीय भाषाओं तथा अंग्रेज़ी में अनुवाद तथा कैसेट काव्यमाला । उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान सहित शताधिक संस्थाओं से सम्मानित। | |
जीवन परिचय | |
माहेश्वर तिवारी / परिचय |
नवगीत
- सोये हैं पेड़ / माहेश्वर तिवारी
- झील का ठहरा हुआ जल / माहेश्वर तिवारी
- याद तुम्हारी / माहेश्वर तिवारी
- आओ हम धूप-वृक्ष काटें / माहेश्वर तिवारी
- सारे दिन पढ़ते अख़बार / माहेश्वर तिवारी
- गहरे-गहरे-से पदचिन्ह / माहेश्वर तिवारी
- मन है / माहेश्वर तिवारी
- हंसो भाई पेड़ / माहेश्वर तिवारी
- ज़िन्दगी अपनी हुई है मैल कानों की / माहेश्वर तिवारी
- बहुत दिनों के बाद / माहेश्वर तिवारी
- कुहरे में सोए हैं पेड़ / माहेश्वर तिवारी
- गर्दन पर, कुहनी पर, जमी हुई मैल सी / माहेश्वर तिवारी
- मुड़ गया इतिहास फिर / माहेश्वर तिवारी
- छोड़ आए हम अजानी घाटियों में / माहेश्वर तिवारी
- भरी-भरी मूँगिया हथेली पर / माहेश्वर तिवारी
- एक तुम्हारा होना / माहेश्वर तिवारी
- मुड़ गए जो / माहेश्वर तिवारी
- टूटे खपरैल-सी / माहेश्वर तिवारी
- फागुन का रथ / माहेश्वर तिवारी
- चिरंतन वसंत / माहेश्वर तिवारी
- गया साल / माहेश्वर तिवारी
- चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव / माहेश्वर तिवारी
- आज गीत गाने का मन है / माहेश्वर तिवारी
- याद तुम्हारी जैसे कोई कँचन-कलश भरे। / माहेश्वर तिवारी