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"आज तक देखता रहा / राजकिशोर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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22:46, 17 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण

आज तक देऽता रहा
अभी तक सुनता रहा
महसूसता रहा कि
घूस लेते हुए
एक ऑपफीसर कहता है
देश में भ्रष्टाचार है
यहाँ कैसी सरकार है
यह मुल्क अब बेकार है
जनता यहाँ लाचार है
कॉलेज में नहीं पढ़ाते हुए
शिक्षक कहते हैं
यह कैसा हिन्दुस्तान है
लोग यहाँ बेईमान हैं
आलसियों का जहान है
रहना अब न आसान है
दूध् में पानी मिलाते
ग्वाले कहते हैं
इस देश का क्या हाल है
ध्ंध सब गोलमाल है
एक मौके का कमाल है
पिफर यहाँ रहने का
कहाँ सवाल है
दहेज लेते समय

लड़के का बाप कहता है
अब यह देश नापाक है
दहेज यहाँ अभिशाप है
विरोध्ी हर बेटे का बाप है
यहाँ बेटियों का जीना पाप है
परीक्षा में चोरी करते हुए
एक छात्रा कहता है
यहाँ कैसी सरकार है
देश में लाऽों बेरोजगार हैं
सब जगह कदाचार है
जीना अब लाचार है
कम घण्टे काम करते हुए
एक मजदूर कहता है
हाथ चले पैर ठामेठाम है
जैसा पैसा वैसा काम है
बेकार देश का हर ग्राम है
रहना यहाँ अब हराम है
ऽुशामद पर ज्ञानपीठ लेते
लेऽक कहते हैं
देश को मुझ पर नाज है
मुझसे ही देश को ताज है
नकलचियों पर गिरा अब गाज है
इस देश में रहना अब लाज है।