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"जागरण / अंतराल / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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14:55, 29 दिसम्बर 2009 का अवतरण
आज जीवन में सफलता की मुझे आहट मिली है !
आज तो आराधना का
इस हृदय की साधना का
फल मिलेगा, बल मिलेगा,
आज तो पतझार में अगणित नयी कलियाँ खिली हैं !
उठ रही हैं मुक्त लहरें,
भाव रोदन के न ठहरें,
पास यह गन्तव्य आया
हार का बंदी नहीं, जीत मुझसे आ हिली है !
मिट चुकी है रात काली,
छा रही है आज लाली,
हो रहा कलरव मनोहर
जागरण-बेला यही है, प्राण ने पहचान ली है !
1947