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+ | कहाँ हो कंत | ||
+ | कोयल पुकारती | ||
+ | आया वसंत । | ||
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+ | प्रेम की कमी | ||
+ | मन की धरा पर | ||
+ | दरारें पड़ी । | ||
+ | 15 | ||
+ | पीड़ा के गीत | ||
+ | बन गये अब तो | ||
+ | साँसों के मीत। | ||
+ | 16 | ||
+ | बात अधूरी | ||
+ | शब्द ढूँढ़ते बीती | ||
+ | बेला ही पूरी। | ||
+ | 17 | ||
+ | घिरी घटाएँ | ||
+ | नयन गगन में | ||
+ | बरसीं यादें । | ||
+ | 18 | ||
+ | देह के साथ | ||
+ | अपना लेते आप | ||
+ | मन भी मेरा। | ||
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+ | 19 | ||
+ | होकर चूर | ||
+ | सपनों का दर्पण | ||
+ | देता चुभन। | ||
+ | 20 | ||
+ | डूबता मन | ||
+ | प्रीत की पतवार | ||
+ | करेगी पार। | ||
+ | 21 | ||
+ | बुझा है मन | ||
+ | उजाले देने लगे | ||
+ | अब चुभन। | ||
+ | 22 | ||
+ | '''हवा की धुन''' | ||
थिरकती डालियाँ | थिरकती डालियाँ | ||
पाँव के बिन | पाँव के बिन | ||
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00:19, 19 जनवरी 2021 के समय का अवतरण
12
काँटे भी अब
देते नहीं चुभन
अभ्यस्त हम।
13
कहाँ हो कंत
कोयल पुकारती
आया वसंत ।
14
प्रेम की कमी
मन की धरा पर
दरारें पड़ी ।
15
पीड़ा के गीत
बन गये अब तो
साँसों के मीत।
16
बात अधूरी
शब्द ढूँढ़ते बीती
बेला ही पूरी।
17
घिरी घटाएँ
नयन गगन में
बरसीं यादें ।
18
देह के साथ
अपना लेते आप
मन भी मेरा।
19
होकर चूर
सपनों का दर्पण
देता चुभन।
20
डूबता मन
प्रीत की पतवार
करेगी पार।
21
बुझा है मन
उजाले देने लगे
अब चुभन।
22
हवा की धुन
थिरकती डालियाँ
पाँव के बिन