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सुरंग में बुझती लालटेन / नोमान शौक़
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18:27, 13 सितम्बर 2008
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{{KKRachna
|रचनाकार=नोमान शौक़
}}
जब क़त्ल होता है<br />
एक निर्दोष इन्सान का<br />
और निर्लज्ज बलात्कारी<br />
ये
हत्याएं
हत्याएँ
करते हैं<br />
(कुछ लोग चूमते हैं<br />
इनके ख़ून से रंगे हाथों को)<br />
अनिल जनविजय
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