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जगा गई नर्स-सी हवा।
 
जगा गई नर्स-सी हवा।
 
 
'''''-- यह कविता [[Dr.Bhawna Kunwar]] द्वारा कविता कोश में डाली गयी है।<br><br>'''''
 

18:07, 1 अक्टूबर 2008 के समय का अवतरण

सोई खिड़कियों को

जगा गई

नर्स-सी हवा।

देकर मधुगंधिनी दवा।


रोगी

दरवाज़ों की

बाजू में किरणों की घोंपकर सुई

सूरज-चिकित्सक ने

रख दी फिर

धुली हुई धूप की रुई


होने से

बच गई

चौखट विधवा।

जगा गई नर्स-सी हवा।