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किसी सैलाब के आने की आशंका से डरता हूँ / डी. एम. मिश्र
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14:10, 12 सितम्बर 2023
किसी की खूबसूरत सादगी पर मैं भी मरता हूँ
हमारी झोपड़ी जलती
मेरा गर आशियां जलता
तो दोबारा बना लेतामगर ये आग कैसी जिसमें
मैं दिन रात जलता हूँ
उदासी से भरी वैसे तो मेरी शाम होती है
मगर उम्मीद लेकर रोज़ ही घर से निकलता हूँ
</poem>
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