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"एक मुक्तक / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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खुल गए उत्तर सहज ही कठिन मसलों के, | खुल गए उत्तर सहज ही कठिन मसलों के, | ||
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18:32, 23 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
ज़िन्दगी भी क्या कि अपनों में अकेली हो गई,
मिली अनजानी कोई उसकी सहेली हो गई,
खुल गए उत्तर सहज ही कठिन मसलों के,
बात छोटी सी कभी मुश्किल पहेली हो गई ।
(दिसम्बर, 2021)