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"अमृत धार / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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नदिया उद्गमित
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मूक-बधिर तट
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तथापि हर्ष।
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जीवन -शिला-
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आपदा ने ढहाया
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नदी का किला।
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नन्दन वन-
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सुरसरि जीवन
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झाँको तो मन।
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सुख सरिता-
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ध्यान सुमुख धरो
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शंकर पिता।
  
  
 
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07:07, 1 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण

1
शैल मुदित
जन्मी जो सुन्दर- सी
बिटिया नदी।
2
मंगलगान
ध्येय लोककल्याण
नदी महान।
3
तरु मुस्काए
मरुथल भी गाए
नदिया भाए।
4
धरा हर्षित
नदिया उद्गमित
जी पुलकित।
5
जीवन -थार;
पिय! तुम नदिया
अमृत -धार।
6
जग पाषाण;
बहें नदी समान-
स्त्रियाँ महान।
7
नदी-संघर्ष
मूक-बधिर तट
तथापि हर्ष।
8
जीवन -शिला-
आपदा ने ढहाया
नदी का किला।
9
नन्दन वन-
सुरसरि जीवन
झाँको तो मन।
10
सुख सरिता-
ध्यान सुमुख धरो
शंकर पिता।