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"थकेगा न हारेगा / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | जिन पग निकसी | ||
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+ | गंगा अनूठी। | ||
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+ | शिव सम्मुख | ||
+ | नतमस्तक गंगा | ||
+ | तोय-तरंगा। | ||
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+ | प्रिया महान! | ||
+ | गंगा-सागर जाना | ||
+ | एक ही ध्यान | ||
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+ | मीलों चलती- | ||
+ | नदी- मन सागर- | ||
+ | प्रीत पलती। | ||
+ | 16 | ||
+ | डाकिया नदी | ||
+ | नित पर्वत चिठ्ठी | ||
+ | सागर देती। | ||
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+ | निश्छल बहे- | ||
+ | नदी-सा गतिमान | ||
+ | जीवन रहे। | ||
+ | 18 | ||
+ | रहे शिखर- | ||
+ | हिम, सरित बन | ||
+ | अम्बर घन। | ||
+ | 19 | ||
+ | निष्ठुर प्रेमी- | ||
+ | सागर ने न बाँची | ||
+ | नदी की पाती। | ||
+ | 20 | ||
+ | पुण्य-सलिला | ||
+ | कृतघ्न को भी सींचे | ||
+ | उदारमना। | ||
+ | 21 | ||
+ | '''जीवन प्रश्न''' | ||
+ | '''थकेगा न हारेगा-''' | ||
+ | '''नदी-सा मन।''' | ||
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07:05, 1 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
11
मन-अर्पण
जिन पग निकसी
गंगा पावन।
12
पार्वती रूठी
जटा शंकर धरे
गंगा अनूठी।
13
शिव सम्मुख
नतमस्तक गंगा
तोय-तरंगा।
14
प्रिया महान!
गंगा-सागर जाना
एक ही ध्यान
15
मीलों चलती-
नदी- मन सागर-
प्रीत पलती।
16
डाकिया नदी
नित पर्वत चिठ्ठी
सागर देती।
17
निश्छल बहे-
नदी-सा गतिमान
जीवन रहे।
18
रहे शिखर-
हिम, सरित बन
अम्बर घन।
19
निष्ठुर प्रेमी-
सागर ने न बाँची
नदी की पाती।
20
पुण्य-सलिला
कृतघ्न को भी सींचे
उदारमना।
21
जीवन प्रश्न
थकेगा न हारेगा-
नदी-सा मन।