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"हाइकु / प्रियंका गुप्ता / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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तुम भौर देवा
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बेचैन चाँद
  
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भक्का कारण
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तुमने बिखरा दी
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पीले पत्ते थे
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शाख ने गिरा दिए
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कच्चा था रिश्ता
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पिंगळा पत्ता
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फाँगौं न उन्द्द धोळे
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काचु छौ रिस्ता
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आज़ाद पंछी
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कब किसी का हुआ
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झट से उड़ा
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आजाद पग्छी
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कबारि ह्वाई कैकू
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झट कै उड़ी
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पूस की रात
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मेरे साथ ठिठुरे
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मेरा साया भी
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पूसै कि रात
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मेरी दगड़ी कौंपी
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मेरु छैलू बि
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रिश्तों की धूप
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आँगन में उतरी
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सहला गई
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रिस्तौं कु घाम
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चौक माँ उतरीक
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मलासी ग्याई
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बाँहें फैलाओ
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मुट्ठी में आसमान
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बाँध ले आओ
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अंग्वाळ फैलौ
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मुट्ठी मंगैं आगास
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बाँधी क लि यौ
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यादों के पन्ने
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आँसू से गीले हुए
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तो भी न फटे
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खुद क पन्ना
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तौ बि नि फटी
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तकिये में जा छिपे
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सिर्वणा माँ लुक्यन
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खोजि नि मिल्यें
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काँटों की खेती
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बेचने चले फूल
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कैसी ये भूल ?
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बेचणों चले फूल
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कनि या भूल
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14:02, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

1
प्रेम--गागर
खाली है बरसों से
तुम भर दो

प्रेमैं गागर
रीति बरसु बिटी
तुम भौर देवा
2
दौड़ता आया
धूल की गठरी ले
हवा का घोड़ा

अटगी आई
धूळै कि फाँची लीक
बथौं कु घ्वाड़ा
3
गर्मी के मारे
तालाब में सो गया
बेचैन चाँद

भक्का कारण
तलौ माँ सेई ग्याई
बिचैन जून
4
कुछ यादें थी
तुमने बिखरा दी
कैसे बटोरूँ?

कुछ याद छै
तुमुन फोळयेन
कनैं बटोळौं
5
पीले पत्ते थे
शाख ने गिरा दिए
कच्चा था रिश्ता

पिंगळा पत्ता
फाँगौं न उन्द्द धोळे
काचु छौ रिस्ता
6
आज़ाद पंछी
कब किसी का हुआ
झट से उड़ा

आजाद पग्छी
कबारि ह्वाई कैकू
झट कै उड़ी
7
पूस की रात
मेरे साथ ठिठुरे
मेरा साया भी

पूसै कि रात
मेरी दगड़ी कौंपी
मेरु छैलू बि
8
रिश्तों की धूप
आँगन में उतरी
सहला गई

रिस्तौं कु घाम
चौक माँ उतरीक
मलासी ग्याई
9
बाँहें फैलाओ
मुट्ठी में आसमान
बाँध ले आओ

अंग्वाळ फैलौ
मुट्ठी मंगैं आगास
बाँधी क लि यौ
10
यादों के पन्ने
आँसू से गीले हुए
तो भी न फटे

खुद क पन्ना
आँसुन गिल्ला ह्वेन
तौ बि नि फटी
11
टपके आँसू
तकिये में जा छिपे
ढूँढे न मिले

आँसू च्वींयन
सिर्वणा माँ लुक्यन
खोजि नि मिल्यें
12
काँटों की खेती
बेचने चले फूल
कैसी ये भूल ?

काँडौं की खेति
बेचणों चले फूल
कनि या भूल
-0-