"हाइकु / पूर्वा शर्मा / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | 1. | ||
+ | सर्द-जीवन | ||
+ | तेरा पश्मीना-नेह | ||
+ | लपेटे फिरूँ। | ||
+ | ह्यूँद जीवन | ||
+ | तेरु पस्मिना प्रीत | ||
+ | लपेटि घुमौं | ||
+ | 2. | ||
+ | बूँदों के बाण | ||
+ | कुम्हलाते पत्तों में | ||
+ | भरते प्राण। | ||
+ | बुन्दु का तीर | ||
+ | ल्हबसाँयाँ पत्तों माँ | ||
+ | भरदा प्राण | ||
+ | 3. | ||
+ | नैवेद्य नहीं | ||
+ | सम्मान-क्षुधा मात्र | ||
+ | हर उमा को। | ||
+ | नैवेद्य नि च | ||
+ | आदरै भूक बस | ||
+ | हर उमा तैं | ||
+ | 4. | ||
+ | प्रेम बेड़ियाँ | ||
+ | पहनाई जो तूने | ||
+ | बेफिक्र उड़ूँ। | ||
+ | माया कि बेड़ी | ||
+ | पैरैयेन जु त्वेन | ||
+ | निस्फिक्र उड़ौ. | ||
+ | 5. | ||
+ | उम्मीद-माँझा | ||
+ | ख्वाहिशों की पतंग | ||
+ | जीवन यही। | ||
+ | |||
+ | आस कु धागु | ||
+ | इच्छौं कि य पतंग | ||
+ | जीवन यु ई | ||
+ | 6. | ||
+ | कुछ ही लम्हें | ||
+ | उधार दे ज़िंदगी | ||
+ | मुस्कुरा भी लूँ। | ||
+ | |||
+ | कुछ इ घड़ि | ||
+ | पगाळ द्यो जिंदगी | ||
+ | मुल्ल हैंसी जौं | ||
+ | 7 | ||
+ | चुरा के रखी | ||
+ | जीवन की ज़ेब में | ||
+ | तेरी वह हँसी। | ||
+ | |||
+ | चोरिक धारि | ||
+ | जीवन का कीसा माँ | ||
+ | त्यारी वा हैंसी | ||
+ | 8 | ||
+ | लाडो धरा के | ||
+ | हाथ करता पीले | ||
+ | अमलतास। | ||
+ | |||
+ | लड्या पिर्थी का | ||
+ | हाथ कर्द पिंगळा | ||
+ | अमलतास | ||
+ | 9 | ||
+ | फैली सुगंध | ||
+ | ये किसके तन की! | ||
+ | आए 'अतनु' ? | ||
+ | |||
+ | फैलीं खुसबो | ||
+ | या कैका सरैल कि | ||
+ | ऐंन 'अतनु' | ||
+ | 10 | ||
+ | छुए ज्यों मेघ | ||
+ | कजरारे हो चले | ||
+ | नभ के नैन। | ||
+ | |||
+ | छुएँ बादळ | ||
+ | काजळ जन ह्वेन | ||
+ | आगासा आँखा | ||
+ | 11 | ||
+ | धूप ने छुआ | ||
+ | शर्म से पानी-पानी | ||
+ | हिम यौवना। | ||
+ | |||
+ | घामन छूईँ | ||
+ | सरम न पाणी ह्वे | ||
+ | ह्यूँ सि नौंन्याळि | ||
+ | 12 | ||
+ | पावस माया | ||
+ | कृष्णवर्णी चाँद | ||
+ | नभ पर छाया। | ||
+ | |||
+ | बस्ग्याळ मायै | ||
+ | काळा रंगै कि जून | ||
+ | आगास माँ छै | ||
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19:53, 3 मई 2021 का अवतरण
1.
सर्द-जीवन
तेरा पश्मीना-नेह
लपेटे फिरूँ।
ह्यूँद जीवन
तेरु पस्मिना प्रीत
लपेटि घुमौं
2.
बूँदों के बाण
कुम्हलाते पत्तों में
भरते प्राण।
बुन्दु का तीर
ल्हबसाँयाँ पत्तों माँ
भरदा प्राण
3.
नैवेद्य नहीं
सम्मान-क्षुधा मात्र
हर उमा को।
नैवेद्य नि च
आदरै भूक बस
हर उमा तैं
4.
प्रेम बेड़ियाँ
पहनाई जो तूने
बेफिक्र उड़ूँ।
माया कि बेड़ी
पैरैयेन जु त्वेन
निस्फिक्र उड़ौ.
5.
उम्मीद-माँझा
ख्वाहिशों की पतंग
जीवन यही।
आस कु धागु
इच्छौं कि य पतंग
जीवन यु ई
6.
कुछ ही लम्हें
उधार दे ज़िंदगी
मुस्कुरा भी लूँ।
कुछ इ घड़ि
पगाळ द्यो जिंदगी
मुल्ल हैंसी जौं
7
चुरा के रखी
जीवन की ज़ेब में
तेरी वह हँसी।
चोरिक धारि
जीवन का कीसा माँ
त्यारी वा हैंसी
8
लाडो धरा के
हाथ करता पीले
अमलतास।
लड्या पिर्थी का
हाथ कर्द पिंगळा
अमलतास
9
फैली सुगंध
ये किसके तन की!
आए 'अतनु' ?
फैलीं खुसबो
या कैका सरैल कि
ऐंन 'अतनु'
10
छुए ज्यों मेघ
कजरारे हो चले
नभ के नैन।
छुएँ बादळ
काजळ जन ह्वेन
आगासा आँखा
11
धूप ने छुआ
शर्म से पानी-पानी
हिम यौवना।
घामन छूईँ
सरम न पाणी ह्वे
ह्यूँ सि नौंन्याळि
12
पावस माया
कृष्णवर्णी चाँद
नभ पर छाया।
बस्ग्याळ मायै
काळा रंगै कि जून
आगास माँ छै