भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गूँज / क्रिस्टीना रोजेटी / सुधा तिवारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=क्रिस्टीना रोजेटी |अनुवादक=सुधा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
<poem>
 
<poem>
 
आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में;
 
आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में;
आना सपनों की खुशबायान ख़ामोशी में;
+
आना सपनों की ख़ुशबयान ख़ामोशी में;
आना मुलायम मांसल गालों के साथ और आँखें इतनी चमकीली
+
आना मुलायम मांसल गालों के साथ और
 +
आँखें इतनी चमकीली
 
गोया पानी पर पड़ती धूप;
 
गोया पानी पर पड़ती धूप;
लौट आओ आँसुओं में,
+
ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों के
ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों का
+
लौट आओ आँसुओं में
  
ओह स्वप्न कितना मधुर, अति मधुर,
+
ओह स्वप्न कितना मधुर, मधुमय,
 
भावभीनी
 
भावभीनी
जिसकी जागृति होती
+
जिसकी जागृति है
 
जन्नत में,
 
जन्नत में,
जहाँ प्रेम में आकण्ठ डूबी रूहें मुन्तजिर हों और मिलें;
+
जहाँ प्रेम में आक डूबी रूहें मुन्तज़िर हों मिलने को;
 
जहाँ प्यासी लालायित आँखें
 
जहाँ प्यासी लालायित आँखें
 
देखें धीमे दरवाज़े को
 
देखें धीमे दरवाज़े को
जो खुलें, आगोश में भर लें, फिर कभी वापस जाने दें
+
जो खुलें और आगोश में भर लें फिर कभी न लौटाने के लिए
  
फिर आना मेरे सपनों में, कि मैं जी सकूँ
+
फिर आना मेरे सपनों में कि मैं जी सकूँ
मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में :
+
मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में:
लौट आओ मेरे सपनों में कि मैं सौंप सकूँ
+
लौट आओ मेरे सपनों में, कि मैं सौंप सकूँ तुम्हें
धड़कन के लिए धड़कन, सांसों के लिए सांस :
+
धड़कन के लिए धड़कन, सांस के लिए सांस :
आहिस्ता कहो, आहिस्ता झुको,
+
धीमे कहो, धीमे झुको,
 
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर !
 
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर !
  

15:47, 18 जनवरी 2022 के समय का अवतरण

आना मेरे पास रात की ख़ामोशी में;
आना सपनों की ख़ुशबयान ख़ामोशी में;
आना मुलायम मांसल गालों के साथ और
आँखें इतनी चमकीली
गोया पानी पर पड़ती धूप;
ओ ! स्मृति, आशा, प्रेम अधूरे वर्षों के
लौट आओ आँसुओं में ।

ओह स्वप्न कितना मधुर, मधुमय,
भावभीनी
जिसकी जागृति है
जन्नत में,
जहाँ प्रेम में आक डूबी रूहें मुन्तज़िर हों मिलने को;
जहाँ प्यासी लालायित आँखें
देखें धीमे दरवाज़े को
जो खुलें और आगोश में भर लें फिर कभी न लौटाने के लिए ।

फिर आना मेरे सपनों में कि मैं जी सकूँ
मेरी वही ज़िन्दगी दुबारा अगरचे सर्द हो मृत्यु में:
लौट आओ मेरे सपनों में, कि मैं सौंप सकूँ तुम्हें
धड़कन के लिए धड़कन, सांस के लिए सांस :
धीमे कहो, धीमे झुको,
जितनी देर हो, मेरी जानाँ, कितनी देर !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधा तिवारी

लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
              Echo
     Christina Rossetti

Come to me in the silence of the night;
   Come in the speaking silence of a dream;
   Come with soft rounded cheeks and eyes as bright
      As sunlight on a stream;
            Come back in tears,
            O memory, hope, love of finished years.

Oh dream how sweet, too sweet, too bitter sweet,
   Whose wakening should have been in Paradise,
   Where souls brimfull of love abide and meet;
      Where thirsting longing eyes
            Watch the slow door
            That opening, letting in, lets out no more.

Yet come to me in dreams, that I may live
   My very life again tho’ cold in death:
   Come back to me in dreams, that I may give
      Pulse for pulse, breath for breath:
            Speak low, lean low,
            As long ago, my love, how long ago.