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"गुरिल्ला / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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22:17, 9 दिसम्बर 2009 का अवतरण

तुम्हारे खेत उनके पास हैं
चुप रहो
तुम्हारे खेत जोते जा रहे हैं
जोतने दो
उनमें बीज़ डाले जा रहे हैं
डालने दो
अंकुर फूट गए हैं
देखते रहो
फसल बढ़ रही है
इन्तज़ार करो
फसल पक गई है
हथियार तेज़ करो
फसल कट रही है
तैयार हो जाओ
फसल गाड़ी पर लाद दी गई है
कूद पड़ो, वार करो
उनकी लाशें बिछा दो
यह फसल तुम्हारी है
तुम्हारे खेत की
अब ये खेत भी तुम्हारे हैं।