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"माँ नमन तुझे / रश्मि विभा त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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+ | 'मंगल' के ही | ||
+ | इर्द-गिर्द | ||
+ | व्यवधान के | ||
+ | सब बंध काट | ||
+ | सुख- पथ | ||
+ | सीधा- सपाट | ||
+ | चलते रहे उन्मुक्त | ||
+ | तेरी उँगली को थामे | ||
+ | मेरी आशा के पखेरू | ||
+ | अब उड़ चले | ||
+ | आकाश में | ||
+ | लाँघकर | ||
+ | भय- बन्धन- मेरु | ||
+ | मैंने नभ नाप लिया | ||
+ | यह भांप लिया | ||
+ | जो सृष्टि में न समाए | ||
+ | आसमान भी भर न पाए | ||
+ | तुझ- सा असीम प्रेम, | ||
+ | और महान त्याग | ||
+ | इस जगती में | ||
+ | कोई कर न पाए | ||
+ | तूने जो दी है उड़ान | ||
+ | मेरे नन्हे मन को | ||
+ | माँ नमन तुझे | ||
+ | प्रति पल करूँ | ||
+ | और दूँ आभार | ||
+ | मुझे साफल्य देते | ||
+ | तेरे अतुल्य समर्पण को। | ||
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18:25, 26 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण
तेरे काँधे
अलकापुरी
तेरी गोद
जीवन की धुरी
घूमती है
'मंगल' के ही
इर्द-गिर्द
व्यवधान के
सब बंध काट
सुख- पथ
सीधा- सपाट
चलते रहे उन्मुक्त
तेरी उँगली को थामे
मेरी आशा के पखेरू
अब उड़ चले
आकाश में
लाँघकर
भय- बन्धन- मेरु
मैंने नभ नाप लिया
यह भांप लिया
जो सृष्टि में न समाए
आसमान भी भर न पाए
तुझ- सा असीम प्रेम,
और महान त्याग
इस जगती में
कोई कर न पाए
तूने जो दी है उड़ान
मेरे नन्हे मन को
माँ नमन तुझे
प्रति पल करूँ
और दूँ आभार
मुझे साफल्य देते
तेरे अतुल्य समर्पण को।