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श्रीकृष्ण सरल / परिचय

15 bytes added, 07:18, 15 सितम्बर 2009
(मृत्यु से ठीक एक घण्टे पूर्व लिखा उनका यह मुक्तक)—
<poem>
यादें नक्श हो जायें किसी पत्थर पर तो
वे पत्थर दिल को पिघला सकती हैं।
यादें होतीं होते उनके पैर नहीं
पर पीढ़ियों तलक वे जा सकती हैं।
</poem>
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