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"जीवन / अन्द्रेय वज़निसेंस्की / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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ऐसा करो कि लोग तुमसे अक्सर नफ़रत करें,
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ऐसा करो कि लोग तुमसे अक़सर नफ़रत करें,
 
और किसी नाज़ुक आदमी को इससे सुख मिले ।
 
और किसी नाज़ुक आदमी को इससे सुख मिले ।
  

02:03, 29 अगस्त 2022 के समय का अवतरण

ऐसा करो कि लोग तुमसे अक़सर नफ़रत करें,
और किसी नाज़ुक आदमी को इससे सुख मिले ।

बन्दूक की नोक पर खड़े होकर ’मार्लबरो’ सिगरेट जलाओ,
और बड़ी सफ़ाई से लिखो एक चौपदी

ऐसा करो कि लोग तुमसे इसलिए नफ़रत करें क्योंकि तुम ज़िन्दा बचे हुए हो
जलते हुए निशाने को यह बताने दो — तुम रुई से कोमल हो

दुनिया के उस निशानेबाज़ को नरमी से यह बता दो ‍:
"तुमने सारी नफ़रत पर निशाना साध उसे उड़ा दिया
अब जीना सहज होगा तुम्हारे लिए, जानम ?"
1980

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए
            Андрей Вознесенский
Вызывайте ненависть на себя почаще...

Вызывайте ненависть на себя почаще,
пусть кому-то нежному достанется счастье.

Под прицелом снайпера закурите «Мальборо»
и четверостишие напишите набело.

Вызывайте ненависть тем, что выживаете.
Пусть прицелы пляшущие скажут — вы из ваты.

И скажите с нежностью снайперу всемирному:
«Расстрелял всю ненависть?
Тебе легче, милый?»

1980