भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नन्दा देवी-3 / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह= }} <Poem> तुम वहाँ हो मन्दिर तुम्हारा...) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<Poem> | <Poem> | ||
तुम | तुम |
23:47, 1 नवम्बर 2009 का अवतरण
तुम
वहाँ हो
मन्दिर तुम्हारा
यहाँ है।
और हम--
हमारे हाथ, हमारी सुमिरनी--
यहाँ है--
और हमारा मन
वह कहाँ है?