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"अनुवाद / अनामिका" के अवतरणों में अंतर

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लोग दूर जा रहे हैं  
 
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मरे आस-पास का ‘स्पेस’!  
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इस ‘स्पेस’ का अनुवाद  
 
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'विस्तार' नहीं, 'अंतरिक्ष' करूँगी मैं,  
 
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जो भी जहाँ है सबका धन्यवाद  
 
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कि इस समय मुझमें सब हैं,  
 
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भाँय-भाँय बजाता है हारमोनियम  
 
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मेरा ख़ाली घर!  
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इस ‘ख़ाली’ समय में  
 
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अभी मुझे घर की उतरनों का  
 
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कि एक झाग-भरे सिंक का  
 
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क्या मैं कभी कर सकूँगी  
 
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दरअसल, इस पूरे घर का  
 
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इसमें ही हो जाएगी शाम,  
 
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ओर इस शाम का अनुवाद  
 
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इतना ही करूँगी कि उठूँगी—
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खोल दूँगी पर्दे!  
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खोल दूँगी पर्दे !  
 
अंतिम उजास की छिटकी हुई किर्चियाँ  
 
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पल भर में भर देंगी  
 
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सारा का सारा स्पेस  
 
सारा का सारा स्पेस  
 
और फिर उसका अनुवाद  
 
और फिर उसका अनुवाद  
‘अंतरिक्ष’ नहीं, ‘विस्तार’ करूँगी मैं—
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‘अंतरिक्ष’ नहीं, ‘विस्तार’ करूँगी मैं —
केवल विस्तार!  
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केवल विस्तार !  
 
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16:34, 27 अगस्त 2022 के समय का अवतरण

लोग दूर जा रहे हैं—
(हर कोई हर किसी से दूर)—
लोग दूर जा रहे हैं
और बढ़ रहा है
मेरे आस-पास का ‘स्पेस’!
इस ‘स्पेस’ का अनुवाद
'विस्तार' नहीं, 'अंतरिक्ष' करूँगी मैं,
क्योंकि इसमें मैंने उड़नतश्तरी छोड़ रखी है।

समय का धन्यवाद
कि मेरी घड़ी बंद है,
धन्यवाद खिड़की का
कि ऐन उसके सीखचों के पीछे
गर्भवती है चिड़िया!
जो भी जहाँ है सबका धन्यवाद
कि इस समय मुझमें सब हैं,
सबमें मैं हूँ थोड़ी-थोड़ी !
भाँय-भाँय बजाता है हारमोनियम
मेरा ख़ाली घर  !
इस ‘ख़ाली’ समय में
बहुत काम हैं ।

अभी मुझे घर की उतरनों का
अनुवाद करना होगा
जल की भाषा में,
फिर जूठी प्लेटों का
किसी श्वेत पुष्प की पँखुड़ियों में
अनुवाद करूँगी मैं
फिर थोड़ी देर खड़ी सोचूँगी
कि एक झाग-भरे सिंक का
क्या मैं कभी कर सकूँगी
किसी राग में अनुवाद ?

दरअसल, इस पूरे घर का
किसी दूसरी भाषा में
अनुवाद चाहती हूँ मैं
पर वह भाषा मुझे मिलेगी कहाँ
सिवा उस भाषा के
जो मेरे बच्चे बोलते हैं?

इसमें ही हो जाएगी शाम,
ओर इस शाम का अनुवाद
इतना ही करूँगी कि उठूँगी —
खोल दूँगी पर्दे !
अंतिम उजास की छिटकी हुई किर्चियाँ
पल भर में भर देंगी
सारा का सारा स्पेस
और फिर उसका अनुवाद
‘अंतरिक्ष’ नहीं, ‘विस्तार’ करूँगी मैं —
केवल विस्तार !