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इस दुनिया में / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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16:24, 8 जनवरी 2023
जितने पल तक
निर्भय होकर
जितना विष तुम पी
पाओगे।
जाओगे।
जीना है यदि
कर लो कम विष से अपनी दूरी
विषधर फैले यहाँ-वहाँ
इनसे कैसे बच पाओगे।
तुम खुद को कहाँ छुपाओगे।
मन है जब तन में
वीरबाला
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