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"तुम अमृत-कूप / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारा प्यार-
 
तुम्हारा प्यार-
 
इसके आगे बौना
 
इसके आगे बौना
 
नभ -विस्तार।
 
नभ -विस्तार।
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सिन्धु गहरा
 
सिन्धु गहरा
 
तेरे प्यार के आगे
 
तेरे प्यार के आगे
 
कब ठहरा!
 
कब ठहरा!
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जितनी दूर
 
जितनी दूर
 
उतने ही मन में
 
उतने ही मन में
 
हो भरपूर।
 
हो भरपूर।
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अंक में तुम
 
अंक में तुम
 
जगभर की पीर
 
जगभर की पीर
 
पल में गुम।
 
पल में गुम।
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चूमे नयन
 
चूमे नयन
 
पोर -पोर में खिले
 
पोर -पोर में खिले
 
लाखों सुमन।
 
लाखों सुमन।
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तुम्हारे बैन
 
तुम्हारे बैन
 
दग्ध हृदय को दें
 
दग्ध हृदय को दें
 
पल में चैन।
 
पल में चैन।
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चूमे नयन
 
चूमे नयन
 
रोम -रोम पुलकित
 
रोम -रोम पुलकित
 
स्वर्गिक सुख।  
 
स्वर्गिक सुख।  
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उजली भोर
 
उजली भोर
 
बिखर गई रुई
 
बिखर गई रुई
 
चारों ही और।  
 
चारों ही और।  
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लोग कुरूप
 
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तुम अमृत-कूप
 
तुम अमृत-कूप
 
सदा स्रवित
 
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22:57, 6 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

54
तुम्हारा प्यार-
इसके आगे बौना
नभ -विस्तार।
55
सिन्धु गहरा
तेरे प्यार के आगे
कब ठहरा!
56
जितनी दूर
उतने ही मन में
हो भरपूर।
57
अंक में तुम
जगभर की पीर
पल में गुम।
58
चूमे नयन
पोर -पोर में खिले
लाखों सुमन।
59
तुम्हारे बैन
दग्ध हृदय को दें
पल में चैन।
60
चूमे नयन
रोम -रोम पुलकित
स्वर्गिक सुख।
61
उजली भोर
बिखर गई रुई
चारों ही और।
62
लोग कुरूप
तुम अमृत-कूप
सदा स्रवित
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