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{{KKRachna
|रचनाकार=ॠतुराज
}}{{KKCatKavita}}<poem>कभी इतनी धनवान मत बनना कि लूट ली जाओ 
सस्ते स्कर्ट की प्रकट भव्यता के कारण
 
हांग्जो की गुड़िया के पीछे वह आया होगा
 
चुपचाप बाईं जेब से केवल दो अंगुलियों की कलाकारी से
 
बटुआ पार कर लिया होगा
 
सुंदरता के बारे में उसका ज्ञान मात्र वित्तीय था
 
एक लड़की का स्पर्श क्या होता है वह बिलकुल भूल चुका था
 
एक नितांत अपरिचित जेब में अगर उसे जूड़े का पिन
 
या बुंदे जैसी स्वप्निल-सी वस्तुएं मिलतीं तो वह निराश हो जाता
 
और तब हांग्जो की लड़कियों के गालों की लालिमा भी
 
उसे पुनर्जीवित नहीं कर सकती थी
 
उस वक्त वह मात्र एक औजार था बाज़ार व्यवस्था का
 
खुले द्वार जैसी जेब में जिसे उसकी तेज निगाहों ने झांककर देखा था
 
कि एक भोली रूपसी की अलमस्त इच्छाएं उस बटुए में भरी थीं
 
कि बिना किसी हिंसा के उसने साबित कर दिया
 
सुंदर होने का मतलब लापरवाह होना नहीं है
 
कि अगर लक्ष्य तय हो तो कोई दूसरा आकर्षण तुम्हें डिगा नहीं सकता ।
</poem>
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