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"घोड़ा / ज़करिया मोहम्मद / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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चरागाहों और चट्टानी इलाकों को
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पार करता सरपट
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बिना सूरमा के
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दौड़ रहा घोड़ा
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उसकी गरदन और पीठ पर
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चमक रहा है सूरज
  
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पक्षियों ने बन्द कर ली आँखें
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उसकी बेतहाशा रफ़्तार देख
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लोग मंत्रमुग्ध होकर ठिठक गए हैं
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सब को लग रहा है कि घोड़ा
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अभी गिरा ... अभी गिरा ...
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पर घोड़ा सरपट चाल से भागा जा रहा है
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आख़िर घोड़ा
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एक खाई में गिर गया
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इससे पहले कि स्तब्ध पक्षी चिल्लाएँ
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इससे पहले कि  उसकी चाल का जादू टूटे
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और लोग भागकर उसे बचाएँ
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घोड़ा उड़ जाता है
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घुल-मिल जाता है अपने ही रंग में
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उसकी छाया
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काले बादल में बदल जाती है
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(इस कविता का पहला सारांश)
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उसकी गरदन और पीठ पर
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चमक रहा था सूरज
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पक्षियों ने  घबराकर बन्द कर ली थीं आँखें
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उसकी बेतहाशा रफ़्तार देख
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लोग बिजली की तरह ठिठक गए थे अपनी-अपनी जगह
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सब को लग रहा था कि घोड़ा
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अभी गिरा ... अभी गिरा ...
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और घोड़ा दुलकी चाल से भागा जा रहा था
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2.
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(इस कविता का दूसरा सारांश)
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सभी को लग रहा था कि घोड़ा
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अभी गिरा ... अभी गिरा ...
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पर घोड़ा सरपट भागा जा रहा था
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अपने परकाले से बेख़बर !
  
 
'''मूल अरबी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''मूल अरबी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''

16:11, 5 अगस्त 2023 का अवतरण

चरागाहों और चट्टानी इलाकों को
पार करता सरपट
बिना सूरमा के
दौड़ रहा घोड़ा
उसकी गरदन और पीठ पर
चमक रहा है सूरज

पक्षियों ने बन्द कर ली आँखें
उसकी बेतहाशा रफ़्तार देख
लोग मंत्रमुग्ध होकर ठिठक गए हैं

सब को लग रहा है कि घोड़ा
अभी गिरा ... अभी गिरा ...
पर घोड़ा सरपट चाल से भागा जा रहा है

आख़िर घोड़ा
एक खाई में गिर गया
इससे पहले कि स्तब्ध पक्षी चिल्लाएँ
इससे पहले कि उसकी चाल का जादू टूटे
और लोग भागकर उसे बचाएँ
घोड़ा उड़ जाता है
घुल-मिल जाता है अपने ही रंग में
उसकी छाया
घाटियों के ऊपर उड़ते
काले बादल में बदल जाती है

1.
(इस कविता का पहला सारांश)
उसकी गरदन और पीठ पर
चमक रहा था सूरज

पक्षियों ने घबराकर बन्द कर ली थीं आँखें
उसकी बेतहाशा रफ़्तार देख
लोग बिजली की तरह ठिठक गए थे अपनी-अपनी जगह

सब को लग रहा था कि घोड़ा
अभी गिरा ... अभी गिरा ...
और घोड़ा दुलकी चाल से भागा जा रहा था

2.
(इस कविता का दूसरा सारांश)
सभी को लग रहा था कि घोड़ा
अभी गिरा ... अभी गिरा ...
पर घोड़ा सरपट भागा जा रहा था
अपने परकाले से बेख़बर !

मूल अरबी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता लैला चम्मा के जर्मन अनुवाद में पढ़िए
           Zakaria Mohammed
                  Das Pferd

Das Pferd
galoppiert ohne Reiter,
die Sonne
spiegelt sich auf Nacken und Rücken,
das Pferd
galoppiert über Weiden und Steine.

Die Vögel, die zusehen, schließen die Augen,
die Männer, die zusehen, sind vom Blitz wie gebannt.

Alle sehen den Abgrund,
nur nicht das Pferd,
das mit Lichtgeschwindigkeit darauf zugaloppiert.

Das Pferd stürzt in den Abgrund,
bevor ein Vogel krächzt,
bevor der Blitz den Bann löst.
Das Pferd stürzt,
sein Schatten schwebt als schwarze Wolke
über den Tälern.


1. Kürzung
Die Sonne spiegelt sich auf Nacken und Rücken.
Die Vögel, die zusehen,
schließen die Augen.
Die Männer, die zusehen,
erstarren beim Blitz.

Alle sehen den Abgrund,
nur nicht das Pferd,
das mit Lichtgeschwindigkeit darauf zugaloppiert.


2. Kürzung
Alle sehen den Abgrund,
nur nicht das Pferd,
das mit Lichtgeschwindigkeit darauf zugaloppiert.

                                               1991

Aus dem Arabischen von Leila Chammaa

लीजिए, अब यही कविता मूल अरबी भाषा में पढ़िए
زكريا محمد
الحصان

الحصان
يركض بلا فارس
الشمس
تلمع على عنقه وكفله
الحصان
يركض على أرض العشب والحجر

الطيور التي شاهدته أغمضت عيونها
الرجال الذين رأوه جمدهم البرق

كلهم أبصر الهاوية
إلا الحصان الذي كان يجري إليها

هوى الحصان في الهاوية
قبل أن يصرخ طائر
قبل أن يفك البرق قيوده
هوى الحصان
صار ظله غيمة سوداء
فوق الوديان.
 

- مختصر أول للقصيدة ١
الشمس تلمع على عنقه وكفله
الطيور التي شاهدته
أغمضت عيونها
الرجال الذين رأوه
جمدهم البرق

كلهم أبصر الهاوية
إلا الحصان الذي كان يجري إليها.


 - مختصر ثان للقصيدة ٢
كلهم أبصر الهاوية
إلا الحصان الذي كان يجري إليها.


١٩٩١