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सुकून / वैभव भारतीय
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30 मार्च
बंधा हिमालय उफनती लहरें
ग़ज़ब का सुर फ़लसफ़ा ग़ज़ब है,
इन्ही धुँधलकों में रहके जाना
बला का मनहर सुकून हैं ये,
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