गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ऊहापोह / जयप्रकाश मानस
6 bytes added
,
21:01, 4 मार्च 2008
}}
उफनती
उफ़नती
नदी की शक्ल में
मसकता है लावा
जैसे छिटककर कोई बीज पेड़ से
विवेक
गम
गुम
हो जाता है
जैसे अनाड़ी के हाथ से
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,124
edits