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जाने से पहले / जयप्रकाश मानस
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20:58, 4 मार्च 2008
समुद्री छाँव में घन-सघन वृक्षों की
सुस्ता रहे थके
माँदे
मांदे
अजनबी कुछ लोग
कुछ मीठी नींद में खर्राटे भर रहे
इतनी सारी चीज़ें छोड़ जानी है
कुछ
ज्यादा
ज़्यादा
ही तादाद में
जाने से पहले
अनिल जनविजय
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