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"दावत / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

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रात-कुड़ी ने दावत दी
 
रात-कुड़ी ने दावत दी
 
 
सितारों के चावल फटक कर
 
सितारों के चावल फटक कर
 
 
यह देग किसने चढ़ा दी
 
यह देग किसने चढ़ा दी
 
  
 
चाँद की सुराही कौन लाया
 
चाँद की सुराही कौन लाया
 
 
चाँदनी की शराब पीकर
 
चाँदनी की शराब पीकर
 
 
आकाश की आँखें गहरा गयीं
 
आकाश की आँखें गहरा गयीं
 
  
 
धरती का दिल धड़क रहा है
 
धरती का दिल धड़क रहा है
 
 
सुना है आज टहनियों के घर
 
सुना है आज टहनियों के घर
 
 
फूल मेहमान हुए हैं
 
फूल मेहमान हुए हैं
 
  
 
आगे क्या लिखा है
 
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आज इन तक़दीरों से
 
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कौन पूछने जायेगा...
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उम्र के काग़ज़ पर —
 
उम्र के काग़ज़ पर —
 
 
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,
 
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,
 
 
हिसाब कौन चुकायेगा !
 
हिसाब कौन चुकायेगा !
 
  
 
क़िस्मत ने एक नग़मा लिखा है
 
क़िस्मत ने एक नग़मा लिखा है
 
 
कहते हैं कोई आज रात
 
कहते हैं कोई आज रात
 
 
वही नग़मा गायेगा
 
वही नग़मा गायेगा
 
  
 
कल्प-वृक्ष की छाँव में बैठकर
 
कल्प-वृक्ष की छाँव में बैठकर
 
 
कामधेनु के छलके दूध से
 
कामधेनु के छलके दूध से
 
 
किसने आज तक दोहनी भरी !
 
किसने आज तक दोहनी भरी !
 
  
 
हवा की आहें कौन सुने,
 
हवा की आहें कौन सुने,
 
 
चलूँ, आज मुझे
 
चलूँ, आज मुझे
 
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तक़दीर बुलाने आई है...
तक़दीर बुलाने आई है . . .
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01:35, 8 जनवरी 2009 का अवतरण

रात-कुड़ी ने दावत दी
सितारों के चावल फटक कर
यह देग किसने चढ़ा दी

चाँद की सुराही कौन लाया
चाँदनी की शराब पीकर
आकाश की आँखें गहरा गयीं

धरती का दिल धड़क रहा है
सुना है आज टहनियों के घर
फूल मेहमान हुए हैं

आगे क्या लिखा है
आज इन तक़दीरों से
कौन पूछने जायेगा...

उम्र के काग़ज़ पर —
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,
हिसाब कौन चुकायेगा !

क़िस्मत ने एक नग़मा लिखा है
कहते हैं कोई आज रात
वही नग़मा गायेगा

कल्प-वृक्ष की छाँव में बैठकर
कामधेनु के छलके दूध से
किसने आज तक दोहनी भरी !

हवा की आहें कौन सुने,
चलूँ, आज मुझे
तक़दीर बुलाने आई है...