मैं बनी मधुमास आली!<br><br>
आज मधुर विशाद विषाद की घिर करुण आई यामिनी <br>
बरस सुधि के इन्दु से छिटकी पुलक की चांदनी<br>
उमड़, आई री, दृगों में <br>
सजनि, कालिन्दी निराली!<br><br>
रजत स्वप्नों में उदित अपलक विरल तरावली तारावली,<br>
जाग सुक-पिक ने अचानक मदिर पन्चम तान ली;<br>
बह चली निःश्वास की मृदु<br>