भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"योग मुद्रा / श्रीनिवास श्रीकांत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत }} एक आदमी लेटा है भारत के म...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | |||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | + | |रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत | |
− | |रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत | + | |संग्रह=घर एक यात्रा है / श्रीनिवास श्रीकांत |
− | + | ||
}} | }} | ||
− | + | <Poem> | |
एक आदमी लेटा है | एक आदमी लेटा है | ||
− | |||
भारत के मानचित्र पर | भारत के मानचित्र पर | ||
− | |||
शवासनी मुद्रा में | शवासनी मुद्रा में | ||
− | + | वह नहीं है ब्रह्मराक्षस | |
− | वह नहीं है | + | |
− | + | ||
न वेताल | न वेताल | ||
− | |||
न यति | न यति | ||
− | |||
वह है एक प्रखर साधक | वह है एक प्रखर साधक | ||
− | |||
अपने अतीत पर ध्यानस्थ | अपने अतीत पर ध्यानस्थ | ||
− | |||
भविष्य के प्रति आस्थावान | भविष्य के प्रति आस्थावान | ||
− | |||
बज रही हैं उसकी धमनियाँ | बज रही हैं उसकी धमनियाँ | ||
− | |||
धड़क रहा हृदय | धड़क रहा हृदय | ||
− | |||
बह रहा बरसों से घूमता रक्त | बह रहा बरसों से घूमता रक्त | ||
− | |||
घड़ता माँसपेशियाँ | घड़ता माँसपेशियाँ | ||
− | |||
मेधा | मेधा | ||
− | + | अस्थि-पिंजर | |
− | अस्थि पिंजर | + | |
− | + | ||
अवयव बनाते हैं | अवयव बनाते हैं | ||
− | |||
उसका भूगोल | उसका भूगोल | ||
− | |||
भावनाएँ | भावनाएँ | ||
− | |||
रंग-बिरंगी लोक संस्कृतियाँ | रंग-बिरंगी लोक संस्कृतियाँ | ||
− | |||
व्यवधानों के बावजूद | व्यवधानों के बावजूद | ||
− | |||
लय में जी रहा है वह | लय में जी रहा है वह | ||
− | |||
विचारवान | विचारवान | ||
− | |||
बलवान | बलवान | ||
− | |||
प्रतिभा सम्पन्न | प्रतिभा सम्पन्न | ||
− | |||
वह है जीवित | वह है जीवित | ||
− | |||
नहीं चाहिये उसे | नहीं चाहिये उसे | ||
− | |||
साँस लेने के लिये | साँस लेने के लिये | ||
− | |||
कृत्रिम हवा | कृत्रिम हवा | ||
− | |||
वैपरित्य में भी | वैपरित्य में भी | ||
− | |||
अलख जगाता है वह | अलख जगाता है वह | ||
− | |||
साधा है उसने | साधा है उसने | ||
− | |||
समय का मसान | समय का मसान | ||
− | |||
मस्तक है उसका | मस्तक है उसका | ||
− | |||
आसमानों में | आसमानों में | ||
− | |||
पर, पृथ्वी को | पर, पृथ्वी को | ||
− | |||
स्पर्श करते हैं | स्पर्श करते हैं | ||
− | |||
अहर्निश उसके पाँव | अहर्निश उसके पाँव | ||
− | |||
पुरा और आधुनिक के बीच | पुरा और आधुनिक के बीच | ||
− | |||
समय को जोड़ता सेतु है वह | समय को जोड़ता सेतु है वह | ||
− | |||
जितना पुरातन | जितना पुरातन | ||
− | |||
उतना ही नवीन भी। | उतना ही नवीन भी। | ||
+ | </poem> |
13:33, 12 जनवरी 2009 का अवतरण
एक आदमी लेटा है
भारत के मानचित्र पर
शवासनी मुद्रा में
वह नहीं है ब्रह्मराक्षस
न वेताल
न यति
वह है एक प्रखर साधक
अपने अतीत पर ध्यानस्थ
भविष्य के प्रति आस्थावान
बज रही हैं उसकी धमनियाँ
धड़क रहा हृदय
बह रहा बरसों से घूमता रक्त
घड़ता माँसपेशियाँ
मेधा
अस्थि-पिंजर
अवयव बनाते हैं
उसका भूगोल
भावनाएँ
रंग-बिरंगी लोक संस्कृतियाँ
व्यवधानों के बावजूद
लय में जी रहा है वह
विचारवान
बलवान
प्रतिभा सम्पन्न
वह है जीवित
नहीं चाहिये उसे
साँस लेने के लिये
कृत्रिम हवा
वैपरित्य में भी
अलख जगाता है वह
साधा है उसने
समय का मसान
मस्तक है उसका
आसमानों में
पर, पृथ्वी को
स्पर्श करते हैं
अहर्निश उसके पाँव
पुरा और आधुनिक के बीच
समय को जोड़ता सेतु है वह
जितना पुरातन
उतना ही नवीन भी।