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"मेरा गाँव / मोहन साहिल" के अवतरणों में अंतर

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मैं अभी-अभी बदहवास
 
मैं अभी-अभी बदहवास
पहुंचा हूं अपने गाँव
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हाथ में लिए अखबार
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हाथ में लिए अख़बार
और आँखों में वीभत्स दृष्य
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और आँखों में वीभत्स दृश्य
लगाता हूँ आ आवाज
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लगाता हूँ आवाज़
 
चिल्ला-चिल्लाकर पुकरता हूँ-
 
चिल्ला-चिल्लाकर पुकरता हूँ-
होने वाला विनाश
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होने वाला है विनाश
 
स्टार-वार
 
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हो रहे हैं दंगे
 
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काबुल तक के किस्से सुनाता हूँ
 
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जार्ज बुश से लेकर
 
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समझाता हूं मुशर्रफ तक के इरादे
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धूमकेतू का टकराना
 
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ओज़ोन में छेद  
 
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नन्हा खेलने में मस्त
 
नन्हा खेलने में मस्त
 
मुन्नी गाने में
 
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और कितना चिंतित हूं
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और कितना चिन्तित हूँ मैं
 
सबके लिए।
 
सबके लिए।
 
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07:44, 19 जनवरी 2009 का अवतरण

मैं अभी-अभी बदहवास
पहुँचा हूँ अपने गाँव
हाथ में लिए अख़बार
और आँखों में वीभत्स दृश्य
लगाता हूँ आवाज़
चिल्ला-चिल्लाकर पुकरता हूँ-
होने वाला है विनाश
स्टार-वार
हो रहे हैं दंगे
मार रहे हैं लोग एक-दूसरे को

रवांडा से लेकर
काबुल तक के किस्से सुनाता हूँ
जार्ज बुश से लेकर
समझाता हूं मुशर्रफ़ तक के इरादे
धूमकेतू का टकराना
ओज़ोन में छेद
सब बताता हूँ

मगर ये क्या
बूढ़ी चाची सिए जा रही खींद
झुर्रियों के बीच मुस्कुराहट के साथ
सीता भाभी लगा रही हैं कमीज में बटन
मेरा हमउम्र भोला
बैलों की मालिश किए जा रहा है
मंगतू काका की तकली नहीं रुकती
नन्हा खेलने में मस्त
मुन्नी गाने में
और कितना चिन्तित हूँ मैं
सबके लिए।