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00:40, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण
शकेब जलाली
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जन्म | |
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जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शकेब जलाली / परिचय |
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- आके पत्थर तो मेरे सहन में दो-चार गिरे \ शकेब जलाली
- जाती है धूप उजले परों को समेट के \ शकेब जलाली
- मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख \ शकेब जलाली
- फिर सुन रहा हूँ गुज़रे ज़माने की चाप को / शकेब जलाली
- पास रह के भी बोहत दूर हैं दोस्त / शकेब जलाली
- खामोशी बोल उठे, हर नज़र पैगाम हो जाये / शकेब जलाली
- गले मिला न कभी चाँद बख्त ऐसा था / शकेब जलाली
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