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सम्भव है वह भूल जाए अपना प्रेम | सम्भव है वह भूल जाए अपना प्रेम |
22:42, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
सम्भव है वह भूल जाए अपना प्रेम
सम्भव है वह भूल जाए वह स्पर्शगंगा
जिसमें वह तिरी थी
लेकिन एक शाम सड़क पर चलते-चलते
हल्के लाल आकाश को देखकर क्या वह
एक क्षण को भी यह नहीं सोचेगी :
यह कौन है,
यह कौन है
मैंने इसे ज़रूर कहीं देखा है !
ज़रूर कहीं देखा है ! !