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"उजाला / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
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बचा लो अपनी नौकरी | बचा लो अपनी नौकरी | ||
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अपनी रोटी, अपनी छत | अपनी रोटी, अपनी छत | ||
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ये कपड़े हैं | ये कपड़े हैं | ||
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तेज़ अंधड़ में | तेज़ अंधड़ में | ||
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बन न जाएँ कबूतर | बन न जाएँ कबूतर | ||
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दबोच लो इन्हें | दबोच लो इन्हें | ||
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इस कप को थामो | इस कप को थामो | ||
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सारी नसों की ताकत भर | सारी नसों की ताकत भर | ||
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कि हिलने लगे चाय | कि हिलने लगे चाय | ||
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तुम्हारे भीतर की असुरक्षित आत्मा की तरह | तुम्हारे भीतर की असुरक्षित आत्मा की तरह | ||
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बचा सको तो बचा लो | बचा सको तो बचा लो | ||
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बच्चे का दूध और रोटी के लिए आटा | बच्चे का दूध और रोटी के लिए आटा | ||
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और अपना ज़ेब खर्च | और अपना ज़ेब खर्च | ||
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कुछ क़िताबें | कुछ क़िताबें | ||
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हज़ारों अपमानों के सामने | हज़ारों अपमानों के सामने | ||
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दिन भर की तुम्हारी चुप्पी | दिन भर की तुम्हारी चुप्पी | ||
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जब रात में चीख़े | जब रात में चीख़े | ||
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तो जाओ वापस स्त्री की कोख में | तो जाओ वापस स्त्री की कोख में | ||
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फिर बच्चा बन कर | फिर बच्चा बन कर | ||
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दुनारा जन्म न लेने का | दुनारा जन्म न लेने का | ||
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संकल्प लेते हुए | संकल्प लेते हुए | ||
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भीतर से टूट कर चूर-चूर | भीतर से टूट कर चूर-चूर | ||
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सहलाओ बेटे का ग़र्म माथा | सहलाओ बेटे का ग़र्म माथा | ||
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उसकी आँच में | उसकी आँच में | ||
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आने वाली कोंपलों की गंध है | आने वाली कोंपलों की गंध है | ||
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उसकी नींद में | उसकी नींद में | ||
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आने वाले दिनों का | आने वाले दिनों का | ||
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उजाला है । | उजाला है । | ||
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00:43, 11 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
बचा लो अपनी नौकरी
अपनी रोटी, अपनी छत
ये कपड़े हैं
तेज़ अंधड़ में
बन न जाएँ कबूतर
दबोच लो इन्हें
इस कप को थामो
सारी नसों की ताकत भर
कि हिलने लगे चाय
तुम्हारे भीतर की असुरक्षित आत्मा की तरह
बचा सको तो बचा लो
बच्चे का दूध और रोटी के लिए आटा
और अपना ज़ेब खर्च
कुछ क़िताबें
हज़ारों अपमानों के सामने
दिन भर की तुम्हारी चुप्पी
जब रात में चीख़े
तो जाओ वापस स्त्री की कोख में
फिर बच्चा बन कर
दुनारा जन्म न लेने का
संकल्प लेते हुए
भीतर से टूट कर चूर-चूर
सहलाओ बेटे का ग़र्म माथा
उसकी आँच में
आने वाली कोंपलों की गंध है
उसकी नींद में
आने वाले दिनों का
उजाला है ।