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"विरह के दो रंग / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर

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विरह का यह रंग
 
विरह का यह रंग
सिर्फ़ मेरे लिए नही है ...
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सिर्फ़ मेरे लिए नहीं है ...
  
सही ग़लत की उलझन में
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सही- ग़लत की उलझन में
 
बीता जीवन का मधुर पल,
 
बीता जीवन का मधुर पल,
 
टूटा न जाने कब कैसे
 
टूटा न जाने कब कैसे
कसमों ,जन्मो का वह नाता
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कसमों,जन्मों का वह नाता
 
साथ है तो ..दोनों तरफ़
 
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अब सिर्फ़ तन्हाई
 
अब सिर्फ़ तन्हाई
जवाब दे जिंदगी
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जवाब दे ज़िंदगी
 
तू इतनी बेदर्द क्यों  है ?..
 
तू इतनी बेदर्द क्यों  है ?..
  
 
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19:16, 12 फ़रवरी 2009 का अवतरण

 

सितारों के बीच में
तन्हा चाँद
और भी उदास कर जाता है
तब शिद्दत से होता है
एहसास ..
कि
विरह का यह रंग
सिर्फ़ मेरे लिए नहीं है ...

सही- ग़लत की उलझन में
बीता जीवन का मधुर पल,
टूटा न जाने कब कैसे
कसमों,जन्मों का वह नाता
साथ है तो ..दोनों तरफ़
अब सिर्फ़ तन्हाई
जवाब दे ज़िंदगी
तू इतनी बेदर्द क्यों है ?..