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ऐसी वाणी बोलेए, मन का आपा खोय। <br>
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इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का, अदना सा फ़साना है। <br>
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय॥<br>
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सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है॥<br>
 
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कविता कोश में [[कबीर]]
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कविता कोश में [[जिगर मुरादाबादी]]
 
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19:31, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण

 एक काव्य मोती

इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का, अदना सा फ़साना है।
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़, फैले तो ज़माना है॥

कविता कोश में जिगर मुरादाबादी