भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"माँ हाटकेश्वरी-दो / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एन गिल |एक और दिन / अवतार एन गिल }} <poem> माँ हाट...) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अवतार एन गिल | |रचनाकार=अवतार एन गिल | ||
− | |एक और दिन / अवतार | + | |संग्रह=एक और दिन / अवतार एनगिल |
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
माँ हाटकेश्वरी_ | माँ हाटकेश्वरी_ |
22:26, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
माँ हाटकेश्वरी_
कभी तो फुहार बनकर
सेबों की घाटी में
रिम-झिम बरसती है
तो कभी शिव के डमरू
औ शिलाजीती निगाड़ों पर
टप-टप बजती है
चन्द्रताल में स्नान कर
खुबानी अलूचों के
महकीले गीत सुनते हुए
दिप-दिप सजती
मतस्य कन्याओं को
मछुओं के धारदार जालों में
खिंचते हुए देखती
रंभासुर राजा की
सुन्दरी दैत्य बालओं के
अभिसारी कटाक्षों को
घाटी की नाटी में
बुनती
कमसिन कन्याओं को
स्वर्ण के कर्णफूलों से सजाने के लिए
बहती है____रात-दिन....दिन रात
हाटकी नदी के
कच्चे किनारों पर
'"हाटक"' बिखेरती:
माँ हाटकेश्वरी: माँ हाटकेश्वरी
हाटक= पब्बर नदी का पौराणिक नाम
हाटकी:= सोना