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"अंत में मैं ही हँसूंगा / आग्नेय" के अवतरणों में अंतर

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अंत में मैं ही हँसूंगा
 
अंत में मैं ही हँसूंगा

11:17, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अंत में मैं ही हँसूंगा
सर्वप्रथम मैं ही रहूंगा
अन्तिम होने पर भी
राख की ढेरी होते हुए भी
ज्वालामुखी-सा धधकूंगा
काफ़्का का किला होकर भी
खुले हुए आँगन की तरह
खुला रहूँगा
गिलहरियोंके लिए
उनकी चंचलता
चिडियों के लिए
उनकी प्रसन्नता
चींटियों के लिए
उनका अन्न
नदियों के लिए
उनका जल
उदास मनुष्यों की उदास दुनिया के लिए
उसका स्वप्न
लेकर जल्दी ही आऊँगा
अंत में मैं ही हँसूंगा