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सपने / अविनाश
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09:40, 8 नवम्बर 2009
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<Poem>अजीब है सपनों की बातें
कुछ होते हैं हाथ की पहुंच में
और लगते हैं इतने दूर
वरना सपने देखने के लिए होते हैं
तसल्ली से देखें
कोई रोकता थोड़े ही न है...!</poem>
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