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पल्लो लटके / राजस्थानी

30 bytes removed, 01:51, 9 सितम्बर 2016
|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>
अँखियों में छोटे-छोटे सपने सजाइके
बहियों में निंदिया के पंख लगाइके
ज़रा सा ऊँ ज़रा सा आ
ज़रा सा सीधो हो जा ज़ालिमा म्हारो जियो भटके ...
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