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"धीरज आमेटा ‘धीर’" के अवतरणों में अंतर

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(हर दिन तो नहीं बाग़, बहारों का ठिकाना!)
 
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हर दिन तो नहीं बाग़, बहारों का ठिकाना!
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* [[हर दिन तो नहीं बाग़, बहारों का ठिकाना! / धीरज आमेटा ’धीर’]]
 
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गुलदान को काग़ज़ के गुलों से भी सजाना!
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मुश्किल है चिराग़ों की तरह खुद को जलाना!
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भटके हुए राही को डगर उसकी दिखाना!
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क्या खेल है फ़ेहरिस्त गुनाहों की मिटाना?
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जन्नत के तलबगार का गंगा में नहाना!
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तू खैर! मुसाफ़िर की तरह आ! मगर आना!
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इक शाम मेरे खानः ए दिल में भी बिताना!
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इक मैं हुँ जो गाता हुँ वो ही राग पुराना,
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इक उनका रिवाजों की तरह मुझ को भुलाना!
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दर्द आहो-फ़ुगाँ बन के हलक़ तक भी न आया!
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क्या कीजे न आया जो हमें अश्क बहाना!
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अफ़सोस कि अब ये भी रिवायत नहीं होगी,
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खुशियों में पड़ोसी का पड़ोसी को बुलाना!
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सुलझी है, न ये ज़ीस्त की सुलझेगी पहेली!
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लोगों ने तमाम उम्र ग़वा दी तो ये जाना!
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बदला ही नहीं हाल ए ज़माना ओ जिगर, "धीर"
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फिर कैसे नयी बात, नये शेर सुनाना?
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14:44, 4 मार्च 2009 का अवतरण